मै किसी की अमानत हूँ
मेरी भी कदर करो,
इस दुनिया में आई हूँ
थोड़ा सा तो सब़र करो।
जिस पथ पर मै चलती हूँ
उस पथ की थोड़ी सी तो खबर करो,
चलती हवा का मुख़ मोड़ सकती हूँ
इस नारी पर तो गर्व करो।
किसी ने मुझे माँ कहा
किसी ने बहन का दर्जा दिया,
दिल में थी जो तमना
क्यों ना उस उतरने दिया।
बात थी उनकी, जिनको भूख का पता नही
लपेटा इस जाल में, तु इंसानियत को खो आया,
अपनी भूख मिटाने के लिए..
तु पाँच साल की बच्ची पर हमला कर आया।
जमाने की नजरें अजीब थी
दिल की खबरें,दिल के करीब थी,
पाने का अह़सास है, दुनिया को
फिर भी मै क्यूं बेनसीब थी।
तकदीर को बदल सकती हूँ
हर
किसी से लड़ सकती हूँ,
अजीब है, दासता मेरी
अपनी मौत पे खुद कफन रख सकती हूँ।
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